Thursday 3 October 2013

Ruthless Life of Jhariya, Jharkhand

देश के बेहतरीन कोयले वाला झारखंड का झरिया लोगों की यादों से झर चुका है। काले सोने ने झरिया के लोगों का जीवन भी काला कर दिया है
 

जल रहा है झरिया

झरिया में पिछले एक दशक से कोयले की खदानों में आग लगी हुई है, जिसका खामियाजा पर्यावरण और वहां रह रहे लोगों की सेहत को उठाना पड़ रहा है. जमीन से लगातार धुआं निकल रहा है

 
 



गरीबी

झरिया में दो सदियों से कोयला निकाला जा रहा है. लेकिन वहां के लोगों की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है. सरकार ने खनन में निवेश तो किया, पर सामाजिक आर्थिक विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया

काला सोना

अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया में कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक है. झारखंड के झरिया में देश का बेहतरीन कोयला मिलता है. काले सोने ने झरिया के लोगों का जीवन भी काला कर दिया है।


कहां जाएं

पिछले दो दशकों से लोगों को झरिया से हटा कर कहीं और बसाने पर चर्चा चल रही है, ताकि आग पर काबू पाया जा सके. लेकिन सही योजना के अभाव में अब तक कुछ हो नहीं पाया है।

कोई भविष्य नहीं

दामोदर घाटी के इस इलाके में रहने वाले लोगों को कहीं और बसाने के लिए दस हजार रुपये का मुआवजा देने की बात भी चल रही है. लेकिन लोगों को भविष्य की चिंता सता रही है।

बीमार बचपन

झरिया का लगभग हर बच्चा दमे का शिकार है. इलाके में और उसके आसपास रहने वाले लोगों को सांस की कई तरह की बीमारियां हैं. इसमें फेफडों का कैंसर भी शामिल है।

अवैध खनन

कई दशकों से यहां कोयले का अवैध खनन भी हो रहा है जो बहुत खतरनाक है. इसकी कोई गिनती नहीं है कि कोयले के अवैध खनन के कारण झरिया में अब तक कितने लोगों की जान गई है।




गंदगी में जीवन

क्या इंसान, क्या जानवर, झरिया में जीवन दूभर है. यहां के लोग पानी के लिए दामोदर नदी पर निर्भर करते हैं. कोयले के अवैध खनन के कारण यहां पानी की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है।

भगवान भरोसे

सरकार ने योजनाएं जरूर बनाई हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ है. झरिया के लोग बस भगवान भरोसे हैं।

Photographs & Info By Deutsche Welle 


झारखंड के झरिया का जर्जर विकास

 झारखण्ड के झरिया का विकास एक ऐसा विकास जिसके बारे में जानकार लगा की अब लोग बड़े निष्ठुर हो गए और ऐसा विकास तो कतिपय नही होना चाहिए। लालच एक सीमा त्यागने के बाद ललकारती भी है। प्रकृति के दुःख को अनसुना करना खतरनाक साबित हो सकता है। इस देश के लिए हमारे सामने उत्तराखंड का उदाहरण सबसे बड़ा है लेकिन अभी भी सभी सो रहे है और झारखण्ड का झरिया अपने जर्जर विकास पे रो रहा है। झरिया के बारे में जानकार मैं हतप्रभ रह गयी की ऐसे भी अवस्था में लोग कैसे जीवन व्यतीत कर रहे है? इस पर मैंने कविता लिखा है जिसका शीर्षक है झारखंड के झरिया का जर्जर विकास।


कैसा ये विकास है ?
जिसमे होता है तुम्हारा विकास
तुम्हारे रुपयों का विकास
तुम्हारे घर का विकास
करके हमको सर्वनाश
फिर ये कैसा विकास ?
कोयले की कालिख में
इस कदर लिपटे है हम
की यह जलने और जलाने का
जारी है विकास
कोयले के कारोबार से
सफ़ेद लिबास का विकास
लेकिन एक भी कालिख का
दाग नहीं है तुम्हारे सफ़ेद पोशाक के आस-पास 
काश कुछ तो होता आस
रुकता ये प्रकृति और पर्यावरण का विनाश
थमता उन सांसो में दूषित धुएं का विकास
स्नायु तन्त्र से तीव्र साँसों की रफ़्तार का विकास 
जीवन से तीव्र मृत्यु का विकास
बचपन से तीव्र बुढ़ापे का विकास
अब ठहराव की राह ढूंढ़ रहा
झरिया का बेरहम विकास 

ऋतु राय

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