Wednesday 29 October 2014

A Voice for the Voiceless

इंसान के दर्द तो हम आसानी से समझ लेते है , क्या जानवरों के भी ? ( एक अपील मूकबधिर दोस्तों के लिए) -

जी हाँ अक्सर जब हमें कोई भी तकलीफ होती है वो कहीं न कहीं से दिख ही जाती है ईश्वर ने हमें देखने, समझने, सुनने के लिए अनंत में जाने वाली ज्ञानेन्द्रिया दी है.
किसी के आँखों के आंसू से समझ लेते है उसे कुछ तकलीफ है, किसी के जुबां से उसके मर्म की दास्तां अपने कानों तक सुन आत्मसात कर लेते है. पर क्या इतनी ही संवेदना के साथ हम जानवरों के दर्द को भी परख पाते है ?
जी नहीं, हमारे पास संवेदनाएं है और हम बस उनको नजरअंदाज कर जाते है ऐसे में हम इंसान के अंदर मौजूद अनभिज्ञ गुणों को भी नजरअंदाज कर देते है जो की ईश्वर ने हमें इंसान के रूप में सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को समझने की शक्ति दी है.
इन मूकबधिर दोस्तों के पास भी दिल होता है, इनके अंदर भी अहसास की समुन्दर होता है, दर्द इनको भी उतना ही होता है जितना हम और आप को, बस इनकें दर्द की गूंज हम तक पहुंच नहीं पाती है.
ईश्वर ने इन्हे मूकबधिर बनाया है क्यूंकि शायद वो जानते है की हम इनका ख्याल रख सकते है. पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं ऐसे में पर्यावरण संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का भी उतना ही योगदान है जितना पेड़-पौधों का है.
भारत में अब शीत ऋतु की शुरुआत होने वाली ऐसे में जानवरों को बेहद तकलीफ के समय से गुजरना पड़ता है, ग्रीष्म काल में वो कहीं पर भी अपना बसेरा बना लेते है. लेकिन ठण्ड के मौसम की मार उनके लिए काफी तकलीफदेह होती है.
लखनऊ स्तिथ जीव आश्रय नामक गैर सरकारी संगठन जीव-जंतुओं के लिए बेहद अच्छा काम कर रही है. सभी जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का बहुत अच्छी तरह से उपचार एवं ख्याल रखा जाता है.
जीव आश्रय सड़क पर रहने वाले जीव-जंतुओं को सहारा तो देती ही है साथ ही साथ उनका उपचार और चिकित्सा की सुविधा भी करती है.
ऐसे में जीव जीव आश्रय ने हम सबसे हाथ आगे बढ़ाने की पेशकश की है , यदि आपके पास किसी भी प्रकार के पुराने कपड़े, कम्बल, गद्दे जो भी हो, वो आप दिए गए नंबर पर कॉल करके अपने मूकबधिर दोस्तों के लिए भेज सकते है.8009392222, 8009521111, 9919914444  कॉल करने पर उनकी टीम स्वयं आकर ले जाएगी . ऐसे में आप कड़क ठण्ड आने से पहले इन जीव- जंतुओं के ज़िन्दगी को और भी ख़ुशगवार बनाने में मदद कर सकते है.
यदि आप इनको अपनाना भी (Adopt) चाहते है तो आप सीधे इस पेज के जरिये संपर्क कर सकते है.
https://www.facebook.com/jeevaashraya
नोट : आप लखनऊ या लखनऊ से बाहर, कहीं भी हो , यदि आपको ऐसे जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का मदद करने का अवसर मिले तो जरूर करें. और जो मदद की दरकरार में हो, आप से जो भी संभव हो सके, जरूर करे. यदि किसी भी व्यक्ति या सगठन द्वारा ऐसे अच्छे कार्य किये जा रहे हो तो उन्हें जरूर प्रोत्साहित करे.
- See more at: http://newseum.in/news/being-human-it-easy-understand-pain-anyone-animals#sthash.G2cddd3Z.dpuf
जी हाँ अक्सर जब हमें कोई भी तकलीफ होती है वो कहीं न कहीं से दिख ही जाती है ईश्वर ने हमें देखने, समझने, सुनने के लिए अनंत में जाने वाली ज्ञानेन्द्रिया दी है.
किसी के आँखों के आंसू से समझ लेते है उसे कुछ तकलीफ है, किसी के जुबां से उसके मर्म की दास्तां अपने कानों तक सुन आत्मसात कर लेते है. पर क्या इतनी ही संवेदना के साथ हम जानवरों के दर्द को भी परख पाते है ?
जी नहीं, हमारे पास संवेदनाएं है और हम बस उनको नजरअंदाज कर जाते है ऐसे में हम इंसान के अंदर मौजूद अनभिज्ञ गुणों को भी नजरअंदाज कर देते है जो की ईश्वर ने हमें इंसान के रूप में सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को समझने की शक्ति दी है.
इन मूकबधिर दोस्तों के पास भी दिल होता है, इनके अंदर भी अहसास की समुन्दर होता है, दर्द इनको भी उतना ही होता है जितना हम और आप को, बस इनकें दर्द की गूंज हम तक पहुंच नहीं पाती है.
ईश्वर ने इन्हे मूकबधिर बनाया है क्यूंकि शायद वो जानते है की हम इनका ख्याल रख सकते है. पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं ऐसे में पर्यावरण संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का भी उतना ही योगदान है जितना पेड़-पौधों का है.
भारत में अब शीत ऋतु की शुरुआत होने वाली ऐसे में जानवरों को बेहद तकलीफ के समय से गुजरना पड़ता है, ग्रीष्म काल में वो कहीं पर भी अपना बसेरा बना लेते है. लेकिन ठण्ड के मौसम की मार उनके लिए काफी तकलीफदेह होती है.
लखनऊ स्तिथ जीव आश्रय नामक गैर सरकारी संगठन जीव-जंतुओं के लिए बेहद अच्छा काम कर रही है. सभी जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का बहुत अच्छी तरह से उपचार एवं ख्याल रखा जाता है.
जीव आश्रय सड़क पर रहने वाले जीव-जंतुओं को सहारा तो देती ही है साथ ही साथ उनका उपचार और चिकित्सा की सुविधा भी करती है.
ऐसे में जीव जीव आश्रय ने हम सबसे हाथ आगे बढ़ाने की पेशकश की है , यदि आपके पास किसी भी प्रकार के पुराने कपड़े, कम्बल, गद्दे जो भी हो, वो आप दिए गए नंबर पर कॉल करके अपने मूकबधिर दोस्तों के लिए भेज सकते है.8009392222, 8009521111, 9919914444  कॉल करने पर उनकी टीम स्वयं आकर ले जाएगी . ऐसे में आप कड़क ठण्ड आने से पहले इन जीव- जंतुओं के ज़िन्दगी को और भी ख़ुशगवार बनाने में मदद कर सकते है.
यदि आप इनको अपनाना भी (Adopt) चाहते है तो आप सीधे इस पेज के जरिये संपर्क कर सकते है.
https://www.facebook.com/jeevaashraya
नोट : आप लखनऊ या लखनऊ से बाहर, कहीं भी हो , यदि आपको ऐसे जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का मदद करने का अवसर मिले तो जरूर करें. और जो मदद की दरकरार में हो, आप से जो भी संभव हो सके, जरूर करे. यदि किसी भी व्यक्ति या सगठन द्वारा ऐसे अच्छे कार्य किये जा रहे हो तो उन्हें जरूर प्रोत्साहित करे.
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जी हाँ अक्सर जब हमें कोई भी तकलीफ होती है वो कहीं न कहीं से दिख ही जाती है ईश्वर ने हमें देखने, समझने, सुनने के लिए अनंत में जाने वाली ज्ञानेन्द्रिया दी है.

किसी के आँखों के आंसू से समझ लेते है उसे कुछ तकलीफ है, किसी के जुबां से उसके मर्म की दास्तां अपने कानों तक सुन आत्मसात कर लेते है. पर क्या इतनी ही संवेदना के साथ हम जानवरों के दर्द को भी परख पाते है ?

जी नहीं, हमारे पास संवेदनाएं है और हम बस उनको नजरअंदाज कर जाते है ऐसे में हम इंसान के अंदर मौजूद अनभिज्ञ गुणों को भी नजरअंदाज कर देते है जो की ईश्वर ने हमें इंसान के रूप में सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को समझने की शक्ति दी है.

इन मूकबधिर दोस्तों के पास भी दिल होता है, इनके अंदर भी अहसास की समुन्दर होता है, दर्द इनको भी उतना ही होता है जितना हम और आप को, बस इनकें दर्द की गूंज हम तक पहुंच नहीं पाती है.

ईश्वर ने इन्हे मूकबधिर बनाया है क्यूंकि शायद वो जानते है की हम इनका ख्याल रख सकते है. पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं ऐसे में पर्यावरण संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का भी उतना ही योगदान है जितना पेड़-पौधों का है.

भारत में अब शीत ऋतु की शुरुआत होने वाली ऐसे में जानवरों को बेहद तकलीफ के समय से गुजरना पड़ता है, ग्रीष्म काल में वो कहीं पर भी अपना बसेरा बना लेते है. लेकिन ठण्ड के मौसम की मार उनके लिए काफी तकलीफदेह होती है.

लखनऊ स्तिथ जीव आश्रय नामक गैर सरकारी संगठन जीव-जंतुओं के लिए बेहद अच्छा काम कर रही है. सभी जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का बहुत अच्छी तरह से उपचार एवं ख्याल रखा जाता है.

जीव आश्रय सड़क पर रहने वाले जीव-जंतुओं को सहारा तो देती ही है साथ ही साथ उनका उपचार और चिकित्सा की सुविधा भी करती है.

ऐसे में जीव जीव आश्रय ने हम सबसे हाथ आगे बढ़ाने की पेशकश की है , यदि आपके पास किसी भी प्रकार के पुराने कपड़े, कम्बल, गद्दे जो भी हो, वो आप दिए गए नंबर पर कॉल करके अपने मूकबधिर दोस्तों के लिए भेज सकते है.8009392222, 8009521111, 9919914444  कॉल करने पर उनकी टीम स्वयं आकर ले जाएगी . ऐसे में आप कड़क ठण्ड आने से पहले इन जीव- जंतुओं के ज़िन्दगी को और भी ख़ुशगवार बनाने में मदद कर सकते है.

यदि आप इनको अपनाना भी (Adopt) चाहते है तो आप सीधे इस पेज के जरिये संपर्क कर सकते है.


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नोट : आप लखनऊ या लखनऊ से बाहर, कहीं भी हो , यदि आपको ऐसे जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का मदद करने का अवसर मिले तो जरूर करें. और जो मदद की दरकरार में हो, आप से जो भी संभव हो सके, जरूर करे. यदि किसी भी व्यक्ति या सगठन द्वारा ऐसे अच्छे कार्य किये जा रहे हो तो उन्हें जरूर प्रोत्साहित करे.
 
जी हाँ अक्सर जब हमें कोई भी तकलीफ होती है वो कहीं न कहीं से दिख ही जाती है ईश्वर ने हमें देखने, समझने, सुनने के लिए अनंत में जाने वाली ज्ञानेन्द्रिया दी है.
किसी के आँखों के आंसू से समझ लेते है उसे कुछ तकलीफ है, किसी के जुबां से उसके मर्म की दास्तां अपने कानों तक सुन आत्मसात कर लेते है. पर क्या इतनी ही संवेदना के साथ हम जानवरों के दर्द को भी परख पाते है ?
जी नहीं, हमारे पास संवेदनाएं है और हम बस उनको नजरअंदाज कर जाते है ऐसे में हम इंसान के अंदर मौजूद अनभिज्ञ गुणों को भी नजरअंदाज कर देते है जो की ईश्वर ने हमें इंसान के रूप में सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को समझने की शक्ति दी है.
इन मूकबधिर दोस्तों के पास भी दिल होता है, इनके अंदर भी अहसास की समुन्दर होता है, दर्द इनको भी उतना ही होता है जितना हम और आप को, बस इनकें दर्द की गूंज हम तक पहुंच नहीं पाती है.
ईश्वर ने इन्हे मूकबधिर बनाया है क्यूंकि शायद वो जानते है की हम इनका ख्याल रख सकते है. पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं ऐसे में पर्यावरण संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का भी उतना ही योगदान है जितना पेड़-पौधों का है.
भारत में अब शीत ऋतु की शुरुआत होने वाली ऐसे में जानवरों को बेहद तकलीफ के समय से गुजरना पड़ता है, ग्रीष्म काल में वो कहीं पर भी अपना बसेरा बना लेते है. लेकिन ठण्ड के मौसम की मार उनके लिए काफी तकलीफदेह होती है.
लखनऊ स्तिथ जीव आश्रय नामक गैर सरकारी संगठन जीव-जंतुओं के लिए बेहद अच्छा काम कर रही है. सभी जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का बहुत अच्छी तरह से उपचार एवं ख्याल रखा जाता है.
जीव आश्रय सड़क पर रहने वाले जीव-जंतुओं को सहारा तो देती ही है साथ ही साथ उनका उपचार और चिकित्सा की सुविधा भी करती है.
ऐसे में जीव जीव आश्रय ने हम सबसे हाथ आगे बढ़ाने की पेशकश की है , यदि आपके पास किसी भी प्रकार के पुराने कपड़े, कम्बल, गद्दे जो भी हो, वो आप दिए गए नंबर पर कॉल करके अपने मूकबधिर दोस्तों के लिए भेज सकते है.8009392222, 8009521111, 9919914444  कॉल करने पर उनकी टीम स्वयं आकर ले जाएगी . ऐसे में आप कड़क ठण्ड आने से पहले इन जीव- जंतुओं के ज़िन्दगी को और भी ख़ुशगवार बनाने में मदद कर सकते है.
यदि आप इनको अपनाना भी (Adopt) चाहते है तो आप सीधे इस पेज के जरिये संपर्क कर सकते है.
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नोट : आप लखनऊ या लखनऊ से बाहर, कहीं भी हो , यदि आपको ऐसे जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का मदद करने का अवसर मिले तो जरूर करें. और जो मदद की दरकरार में हो, आप से जो भी संभव हो सके, जरूर करे. यदि किसी भी व्यक्ति या सगठन द्वारा ऐसे अच्छे कार्य किये जा रहे हो तो उन्हें जरूर प्रोत्साहित करे.
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किसी के आँखों के आंसू से समझ लेते है उसे कुछ तकलीफ है, किसी के जुबां से उसके मर्म की दास्तां अपने कानों तक सुन आत्मसात कर लेते है. पर क्या इतनी ही संवेदना के साथ हम जानवरों के दर्द को भी परख पाते है ?
जी नहीं, हमारे पास संवेदनाएं है और हम बस उनको नजरअंदाज कर जाते है ऐसे में हम इंसान के अंदर मौजूद अनभिज्ञ गुणों को भी नजरअंदाज कर देते है जो की ईश्वर ने हमें इंसान के रूप में सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को समझने की शक्ति दी है.
इन मूकबधिर दोस्तों के पास भी दिल होता है, इनके अंदर भी अहसास की समुन्दर होता है, दर्द इनको भी उतना ही होता है जितना हम और आप को, बस इनकें दर्द की गूंज हम तक पहुंच नहीं पाती है.
ईश्वर ने इन्हे मूकबधिर बनाया है क्यूंकि शायद वो जानते है की हम इनका ख्याल रख सकते है. पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं ऐसे में पर्यावरण संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का भी उतना ही योगदान है जितना पेड़-पौधों का है.
भारत में अब शीत ऋतु की शुरुआत होने वाली ऐसे में जानवरों को बेहद तकलीफ के समय से गुजरना पड़ता है, ग्रीष्म काल में वो कहीं पर भी अपना बसेरा बना लेते है. लेकिन ठण्ड के मौसम की मार उनके लिए काफी तकलीफदेह होती है.
लखनऊ स्तिथ जीव आश्रय नामक गैर सरकारी संगठन जीव-जंतुओं के लिए बेहद अच्छा काम कर रही है. सभी जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का बहुत अच्छी तरह से उपचार एवं ख्याल रखा जाता है.
जीव आश्रय सड़क पर रहने वाले जीव-जंतुओं को सहारा तो देती ही है साथ ही साथ उनका उपचार और चिकित्सा की सुविधा भी करती है.
ऐसे में जीव जीव आश्रय ने हम सबसे हाथ आगे बढ़ाने की पेशकश की है , यदि आपके पास किसी भी प्रकार के पुराने कपड़े, कम्बल, गद्दे जो भी हो, वो आप दिए गए नंबर पर कॉल करके अपने मूकबधिर दोस्तों के लिए भेज सकते है.8009392222, 8009521111, 9919914444  कॉल करने पर उनकी टीम स्वयं आकर ले जाएगी . ऐसे में आप कड़क ठण्ड आने से पहले इन जीव- जंतुओं के ज़िन्दगी को और भी ख़ुशगवार बनाने में मदद कर सकते है.
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नोट : आप लखनऊ या लखनऊ से बाहर, कहीं भी हो , यदि आपको ऐसे जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का मदद करने का अवसर मिले तो जरूर करें. और जो मदद की दरकरार में हो, आप से जो भी संभव हो सके, जरूर करे. यदि किसी भी व्यक्ति या सगठन द्वारा ऐसे अच्छे कार्य किये जा रहे हो तो उन्हें जरूर प्रोत्साहित करे.
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जी हाँ अक्सर जब हमें कोई भी तकलीफ होती है वो कहीं न कहीं से दिख ही जाती है ईश्वर ने हमें देखने, समझने, सुनने के लिए अनंत में जाने वाली ज्ञानेन्द्रिया दी है.
किसी के आँखों के आंसू से समझ लेते है उसे कुछ तकलीफ है, किसी के जुबां से उसके मर्म की दास्तां अपने कानों तक सुन आत्मसात कर लेते है. पर क्या इतनी ही संवेदना के साथ हम जानवरों के दर्द को भी परख पाते है ?
जी नहीं, हमारे पास संवेदनाएं है और हम बस उनको नजरअंदाज कर जाते है ऐसे में हम इंसान के अंदर मौजूद अनभिज्ञ गुणों को भी नजरअंदाज कर देते है जो की ईश्वर ने हमें इंसान के रूप में सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को समझने की शक्ति दी है.
इन मूकबधिर दोस्तों के पास भी दिल होता है, इनके अंदर भी अहसास की समुन्दर होता है, दर्द इनको भी उतना ही होता है जितना हम और आप को, बस इनकें दर्द की गूंज हम तक पहुंच नहीं पाती है.
ईश्वर ने इन्हे मूकबधिर बनाया है क्यूंकि शायद वो जानते है की हम इनका ख्याल रख सकते है. पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं ऐसे में पर्यावरण संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का भी उतना ही योगदान है जितना पेड़-पौधों का है.
भारत में अब शीत ऋतु की शुरुआत होने वाली ऐसे में जानवरों को बेहद तकलीफ के समय से गुजरना पड़ता है, ग्रीष्म काल में वो कहीं पर भी अपना बसेरा बना लेते है. लेकिन ठण्ड के मौसम की मार उनके लिए काफी तकलीफदेह होती है.
लखनऊ स्तिथ जीव आश्रय नामक गैर सरकारी संगठन जीव-जंतुओं के लिए बेहद अच्छा काम कर रही है. सभी जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का बहुत अच्छी तरह से उपचार एवं ख्याल रखा जाता है.
जीव आश्रय सड़क पर रहने वाले जीव-जंतुओं को सहारा तो देती ही है साथ ही साथ उनका उपचार और चिकित्सा की सुविधा भी करती है.
ऐसे में जीव जीव आश्रय ने हम सबसे हाथ आगे बढ़ाने की पेशकश की है , यदि आपके पास किसी भी प्रकार के पुराने कपड़े, कम्बल, गद्दे जो भी हो, वो आप दिए गए नंबर पर कॉल करके अपने मूकबधिर दोस्तों के लिए भेज सकते है.8009392222, 8009521111, 9919914444  कॉल करने पर उनकी टीम स्वयं आकर ले जाएगी . ऐसे में आप कड़क ठण्ड आने से पहले इन जीव- जंतुओं के ज़िन्दगी को और भी ख़ुशगवार बनाने में मदद कर सकते है.
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नोट : आप लखनऊ या लखनऊ से बाहर, कहीं भी हो , यदि आपको ऐसे जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का मदद करने का अवसर मिले तो जरूर करें. और जो मदद की दरकरार में हो, आप से जो भी संभव हो सके, जरूर करे. यदि किसी भी व्यक्ति या सगठन द्वारा ऐसे अच्छे कार्य किये जा रहे हो तो उन्हें जरूर प्रोत्साहित करे.
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जी हाँ अक्सर जब हमें कोई भी तकलीफ होती है वो कहीं न कहीं से दिख ही जाती है ईश्वर ने हमें देखने, समझने, सुनने के लिए अनंत में जाने वाली ज्ञानेन्द्रिया दी है.
किसी के आँखों के आंसू से समझ लेते है उसे कुछ तकलीफ है, किसी के जुबां से उसके मर्म की दास्ता अपने कानो तक सुन आत्मसात कर लेते है. पर क्या इतने ही संवेदना के साथ हम जानवरों के दर्द को भी परख पाते है ?
जी नहीं, हमारे पास संवेदनाएं है और हम बस उनको नज़रअंदाज कर जाते है ऐसे में हम इंसान के अंदर मौजूद अनभिज्ञ गुणों को भी नज़रअंदाज कर देते है जो की ईश्वर ने हमें इंसान के रूप में सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को समझने की शक्ति दी है.
इन मूकबधिर दोस्तों के पास भी दिल होता है, इनके अंदर भी अहसास की समुन्दर होता है, दर्द इनको भी उतना ही होता है जितना हमको और आपको बस दर्द की गूंज हम तक पहुंच नहीं पाती है.
ईश्वर ने इन्हे मूकबधिर बनाया है क्यूंकि शायद वो जानते है की हम इनका ख्याल रख सकते है. पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं ऐसे में पर्यावरण संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का भी उतना ही योगदान है जितना पेड़-पौधों का है.
भारत में अब शीत ऋतु की शुरुआत होने वाली ऐसे में जानवरों को बेहद तकलीफ के समय से गुजरना पड़ता है, ग्रीष्म काल में वो कहीं पर भी अपना बसेरा बना लेते है. लेकिन ठण्ड के मौसम की मार उनके लिए काफी तकलीफदेह होती है.
लखनऊ स्तिथ जीव असहाय नामक गैर सरकारी संगठन जीव जंतुओं के लिए बेहद अच्छा काम कर रही है. सभी जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का बहुत अच्छी तरह से उपचार एवं ख्याल रखा जाता है.
ऐसे में जीव असहाय ने लोगो से सहायता के लिए हाथ आगे बढ़ाने की पेशकश की है , यदि आपके पास किसी भी प्रकार के पुराने कपड़े, कम्बल, गद्दे जो भी हो वो आप इस नंबर पर कॉल करके .8009392222, 8009521111, 9919914444 अपने मूकबधिर दोस्तों के लिए भेज सकते है, कॉल करने पर वो स्वयं आकर ले जायेंगे. ऐसे में आप कड़क ठण्ड आने से पहले इन जीव- जंतुओं के लिए बेहतर व्यवस्था कर सकते है.
नोट : आप कहीं भी हो लखनऊ या लखनऊ से बाहर है यदि आपको ऐसे जनवार, जीव-जंतु , पशु पक्षी दिखे जो मदद की दरकरार में हो, आप से कुछ भी संभव हो सके तो  जरूर करे या कोई भी व्यक्ति, सगठन द्वारा ऐसे अच्छे कार्य किये जा रहे हो तो उन्हें जरूर प्रोत्साहित करे. अपने दायरे से जो भी मदद बने जरूर करे.
- See more at: http://newseum.in/news/being-human-it-easy-understand-pain-anyone-animals#sthash.HAF1OELj.dpuf
जी हाँ अक्सर जब हमें कोई भी तकलीफ होती है वो कहीं न कहीं से दिख ही जाती है ईश्वर ने हमें देखने, समझने, सुनने के लिए अनंत में जाने वाली ज्ञानेन्द्रिया दी है.
किसी के आँखों के आंसू से समझ लेते है उसे कुछ तकलीफ है, किसी के जुबां से उसके मर्म की दास्ता अपने कानो तक सुन आत्मसात कर लेते है. पर क्या इतने ही संवेदना के साथ हम जानवरों के दर्द को भी परख पाते है ?
जी नहीं, हमारे पास संवेदनाएं है और हम बस उनको नज़रअंदाज कर जाते है ऐसे में हम इंसान के अंदर मौजूद अनभिज्ञ गुणों को भी नज़रअंदाज कर देते है जो की ईश्वर ने हमें इंसान के रूप में सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को समझने की शक्ति दी है.
इन मूकबधिर दोस्तों के पास भी दिल होता है, इनके अंदर भी अहसास की समुन्दर होता है, दर्द इनको भी उतना ही होता है जितना हमको और आपको बस दर्द की गूंज हम तक पहुंच नहीं पाती है.
ईश्वर ने इन्हे मूकबधिर बनाया है क्यूंकि शायद वो जानते है की हम इनका ख्याल रख सकते है. पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं ऐसे में पर्यावरण संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का भी उतना ही योगदान है जितना पेड़-पौधों का है.
भारत में अब शीत ऋतु की शुरुआत होने वाली ऐसे में जानवरों को बेहद तकलीफ के समय से गुजरना पड़ता है, ग्रीष्म काल में वो कहीं पर भी अपना बसेरा बना लेते है. लेकिन ठण्ड के मौसम की मार उनके लिए काफी तकलीफदेह होती है.
लखनऊ स्तिथ जीव असहाय नामक गैर सरकारी संगठन जीव जंतुओं के लिए बेहद अच्छा काम कर रही है. सभी जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का बहुत अच्छी तरह से उपचार एवं ख्याल रखा जाता है.
ऐसे में जीव असहाय ने लोगो से सहायता के लिए हाथ आगे बढ़ाने की पेशकश की है , यदि आपके पास किसी भी प्रकार के पुराने कपड़े, कम्बल, गद्दे जो भी हो वो आप इस नंबर पर कॉल करके .8009392222, 8009521111, 9919914444 अपने मूकबधिर दोस्तों के लिए भेज सकते है, कॉल करने पर वो स्वयं आकर ले जायेंगे. ऐसे में आप कड़क ठण्ड आने से पहले इन जीव- जंतुओं के लिए बेहतर व्यवस्था कर सकते है.
नोट : आप कहीं भी हो लखनऊ या लखनऊ से बाहर है यदि आपको ऐसे जनवार, जीव-जंतु , पशु पक्षी दिखे जो मदद की दरकरार में हो, आप से कुछ भी संभव हो सके तो  जरूर करे या कोई भी व्यक्ति, सगठन द्वारा ऐसे अच्छे कार्य किये जा रहे हो तो उन्हें जरूर प्रोत्साहित करे. अपने दायरे से जो भी मदद बने जरूर करे.
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जी हाँ अक्सर जब हमें कोई भी तकलीफ होती है वो कहीं न कहीं से दिख ही जाती है ईश्वर ने हमें देखने, समझने, सुनने के लिए अनंत में जाने वाली ज्ञानेन्द्रिया दी है.
किसी के आँखों के आंसू से समझ लेते है उसे कुछ तकलीफ है, किसी के जुबां से उसके मर्म की दास्ता अपने कानो तक सुन आत्मसात कर लेते है. पर क्या इतने ही संवेदना के साथ हम जानवरों के दर्द को भी परख पाते है ?
जी नहीं, हमारे पास संवेदनाएं है और हम बस उनको नज़रअंदाज कर जाते है ऐसे में हम इंसान के अंदर मौजूद अनभिज्ञ गुणों को भी नज़रअंदाज कर देते है जो की ईश्वर ने हमें इंसान के रूप में सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को समझने की शक्ति दी है.
इन मूकबधिर दोस्तों के पास भी दिल होता है, इनके अंदर भी अहसास की समुन्दर होता है, दर्द इनको भी उतना ही होता है जितना हमको और आपको बस दर्द की गूंज हम तक पहुंच नहीं पाती है.
ईश्वर ने इन्हे मूकबधिर बनाया है क्यूंकि शायद वो जानते है की हम इनका ख्याल रख सकते है. पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं ऐसे में पर्यावरण संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का भी उतना ही योगदान है जितना पेड़-पौधों का है.
भारत में अब शीत ऋतु की शुरुआत होने वाली ऐसे में जानवरों को बेहद तकलीफ के समय से गुजरना पड़ता है, ग्रीष्म काल में वो कहीं पर भी अपना बसेरा बना लेते है. लेकिन ठण्ड के मौसम की मार उनके लिए काफी तकलीफदेह होती है.
लखनऊ स्तिथ जीव असहाय नामक गैर सरकारी संगठन जीव जंतुओं के लिए बेहद अच्छा काम कर रही है. सभी जीव-जंतु ,पशु-पक्षियों का बहुत अच्छी तरह से उपचार एवं ख्याल रखा जाता है.
ऐसे में जीव असहाय ने लोगो से सहायता के लिए हाथ आगे बढ़ाने की पेशकश की है , यदि आपके पास किसी भी प्रकार के पुराने कपड़े, कम्बल, गद्दे जो भी हो वो आप इस नंबर पर कॉल करके .8009392222, 8009521111, 9919914444 अपने मूकबधिर दोस्तों के लिए भेज सकते है, कॉल करने पर वो स्वयं आकर ले जायेंगे. ऐसे में आप कड़क ठण्ड आने से पहले इन जीव- जंतुओं के लिए बेहतर व्यवस्था कर सकते है.
नोट : आप कहीं भी हो लखनऊ या लखनऊ से बाहर है यदि आपको ऐसे जनवार, जीव-जंतु , पशु पक्षी दिखे जो मदद की दरकरार में हो, आप से कुछ भी संभव हो सके तो  जरूर करे या कोई भी व्यक्ति, सगठन द्वारा ऐसे अच्छे कार्य किये जा रहे हो तो उन्हें जरूर प्रोत्साहित करे. अपने दायरे से जो भी मदद बने जरूर करे.
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इंसान के दर्द तो हम आसानी से समझ लेते है , क्या जानवरों के भी ? ( एक अपील मूकबधिर दोस्तों के लिए) - See more at: http://newseum.in/news/being-human-it-easy-understand-pain-anyone-animals#sthash.mLyYxbvI.dpuf

Tuesday 23 September 2014

- MOM- Mars Orbiter Mission : मंगलयान की मंगलमय यात्रा




भारत ने एक फिर नई सफलता प्राप्त कर विश्व में इतिहास रच दिया है, और एशिया का पहला देश जिसने मंगल ग्रह पर मंगलयान सफल रूप से पहुचने वाला देश बन गया।
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 भारत के लिए मंगलयान मिशन की यात्रा बड़ी ही रोचक रही और आज देश के पहले अंतरग्रहीय अभियान पर गए मंगलयान को सुबह 4:17 बजे शुरू हुई। सुबह 7:58 पर प्रक्रिया पूरी हो गई और सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में इसे स्थापित कर दिया गया। मंगलयान औपचारिक नाम- मंगल कक्षित्र मिशन भारत का प्रथम मंगल अभियान है।यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक महत्वाकांक्षी अन्तरिक्ष परियोजना है. इस परियोजना की शुरुवात 5 नवम्बर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु छोड़ा गया था और एक उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया था । 24 सितम्बर 2014 मंगलयान मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुँच गया। इस क्रम के साथ ही भारत भी अब उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे हैं। वैसे अब तक मंगल को जानने के लिये शुरू किये गये दो तिहाई अभियान असफल भी रहे हैं। मंगलयान को मंगल ग्रह भेजने का उद्देश्य: निर्माता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन उपग्रह केन्द्र (ISRO) का मंगलयान को मंगल ग्रह पर स्थापित करने का प्रमुख उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण में मिथेन गैस की मात्र का पता लगाना। मंगल ग्रह के ऊपरी वातावरण में ड्यूटीरियम तथा हाइड्रोजन की मात्रा का पता लगाना। अन्तरग्रहीय अन्तरिक्ष मिशनों के लिये आवश्यक डिजाइन, नियोजन, प्रबन्धन तथा क्रियान्वयन का विकास करना है। क्यों यह मिशन अद्भुत रहा ? सभी देशों का यह सपना होता है की पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रह पर भी उनकी मजबूत पकड़ हो, वहाँ भी जीवन जीने की कल्पना का खाका तैयार किया जा सके। ऐसे में भारत ने इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए ये कदम अग्रसर किया है। मिशन की सफलता से भारत की प्रभावशीलता बढ़ी है। इस सफलता से भारत के नागरिक गौरवन्तीत महसूस कर रहे है और सबसे खास बात यह सबसे सस्ता अंतर-ग्रही मिशन है, समस्त 450 करोड़ रुपये या छह करोड़ 70 लाख अमेरिकी डॉलर रही है, जो एक रिकॉर्ड है, इसरो ने 15 महीने के (रिकॉर्ड) समय में इसको तैयार किया है।
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Friday 18 July 2014

World marks Nelson Mandela Day

Mandela's words, "The struggle is my life," are not to be taken lightly.Nelson Mandela personifies struggle. He lead the fight against apartheid with extraordinary vigour and resilience after spending nearly three decades of his life behind bars. He sacrificed his private life and his youth for his people, and remains South Africa's best known and loved hero. 
There Was a black man
But his heart was pure white
He started the revolution
Where discrimination was defined in color
he fought the battle for discrimination
to save the God’s creation
Father gave him a name of Rolihlala
Which was only disgraced by himself
Name’s Meaning was Troublemaker
But it turned out to be successful.
Nelson was noted in the world with peaceable name
He Spent 27 years of life in jail
Touched with his reflection in a cell
But from that dark room
 the brightness of the sun was coming just as well.
His energy flowed.
The darkness of that room was percussive with him
the dark is afraid to see the darkness in him
Dark Began to feel the darkness
black was on collision with white
Spend a day in the condemned cell
And other adversity
A child lost his lovable mother
Mother lost a chance to see the lovable child
From the bottom of yesterday’s closet
He went straight to the top.
He has won the favor of God to make Live life lessons for others.

Ritu Rai

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Tuesday 25 March 2014

The Twist of life

The Twist of life
 
http://shahrahul.files.wordpress.com/2012/09/dreams-are-not-the-messages-from-outer-world-its-your-mind-talking-to-you-just-that-much-talk-if-you-like-drop-if-you-mind-live-if-you-love-it.jpg
Since my childhood I wanted to change the world,
and then I decided to enter in a state of mind deeply twirled.
I found myself to be an amazing creation,
which I would like to hereby mention.
I uncovered a new world in front of me,
one so profound and infinite to see.
I was getting messages from the Universe,
telling me to change my view and consideration to diverse.
Believe me, it was truly amazing,
I felt like having two wings to swing!
As I saw other people's pain
my mind wandered in vain.
 
Ritu Rai

Thursday 20 March 2014

गौर करे आज विश्व गौरैया दिवस है।

पर्यावरण संरक्षण में गौरैया के महत्व व भूमिका के प्रति लोगों का ध्यान आकृष्ट करने तथा इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जनजागरूकता उत्पन्न करने के इरादे से यह आयोजन किया जाता है। यह दिवस पहली बार वर्ष 2010 में मनाया गया था। वैसे देखा जाए तो इस नन्ही गौरैया के विलुप्त होने का कारण मानव ही हैं। हमने तरक्की तो बहुत की लेकिन इस नन्हें पक्षी की तरक्की की तरफ कभी ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि जो दिवस हमें खुशी के रूप में मनाना चाहिए था, वो हम आज इसलिए मनाते हैं कि इनका अस्तित्व बचा रहे।




गौरैया महज एक पक्षी नहीं है, ये हमारे जीवन का अभिन्न अंग भी रहा है। बस इनके लिए हमें थोड़ी मेहनत रोज करनी होगी। छत पर किसी खुली छावदार जगह पर कटोरी या किसी मिट्टी के बर्तन में इनके लिए चावल और पीने के लिए साफ बर्तन में पानी रखना होगा। फिर देखिये रूठा दोस्त कैसे वापस आता है।

Friday 7 March 2014

Next to the wound, what women make best is the bandage .

It’s 8th March, International Women’s Day. A day to celebrate the being of women and to appreciate the efforts, they made, during their lives. Let’s pay tribute to all the women of the world for they are the one whose presence is responsible for the world today and always.

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवत:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।।


Live simply, love generously, care deeply, speak kindly, and leave the rest to God.



Good judgment comes from experience, and a lotta that comes from bad judgment.




Happy International Women’s Day :)

It’s 8th March, International Women’s Day. A day to celebrate the being of women and to appreciate the efforts, they made, during their lives. Let’s pay tribute to all the women of the world for they are the one whose presence is responsible for the world today and always.

‘मनुस्मृति’ में लिखा है—
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवत:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।।
(मनुस्मृति,3/56) अर्थात् ”जहाँ स्त्रियों का आदर किया जाता है, वहाँ देवता रमण करते हैं और जहाँ इनका अनादर होता है, वहाँ सब कार्य निष्फल होते हैं।जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता भी निवास करते हैं।

 

कुछ जले है ,कुछ बुझे है ....ऋतु राय

God always comes in alone But lost in the crowd. Ritu Rai


Religion means to hold together :)