Tuesday 23 September 2014

- MOM- Mars Orbiter Mission : मंगलयान की मंगलमय यात्रा




भारत ने एक फिर नई सफलता प्राप्त कर विश्व में इतिहास रच दिया है, और एशिया का पहला देश जिसने मंगल ग्रह पर मंगलयान सफल रूप से पहुचने वाला देश बन गया।
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 भारत के लिए मंगलयान मिशन की यात्रा बड़ी ही रोचक रही और आज देश के पहले अंतरग्रहीय अभियान पर गए मंगलयान को सुबह 4:17 बजे शुरू हुई। सुबह 7:58 पर प्रक्रिया पूरी हो गई और सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में इसे स्थापित कर दिया गया। मंगलयान औपचारिक नाम- मंगल कक्षित्र मिशन भारत का प्रथम मंगल अभियान है।यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक महत्वाकांक्षी अन्तरिक्ष परियोजना है. इस परियोजना की शुरुवात 5 नवम्बर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु छोड़ा गया था और एक उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया था । 24 सितम्बर 2014 मंगलयान मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुँच गया। इस क्रम के साथ ही भारत भी अब उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे हैं। वैसे अब तक मंगल को जानने के लिये शुरू किये गये दो तिहाई अभियान असफल भी रहे हैं। मंगलयान को मंगल ग्रह भेजने का उद्देश्य: निर्माता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन उपग्रह केन्द्र (ISRO) का मंगलयान को मंगल ग्रह पर स्थापित करने का प्रमुख उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण में मिथेन गैस की मात्र का पता लगाना। मंगल ग्रह के ऊपरी वातावरण में ड्यूटीरियम तथा हाइड्रोजन की मात्रा का पता लगाना। अन्तरग्रहीय अन्तरिक्ष मिशनों के लिये आवश्यक डिजाइन, नियोजन, प्रबन्धन तथा क्रियान्वयन का विकास करना है। क्यों यह मिशन अद्भुत रहा ? सभी देशों का यह सपना होता है की पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रह पर भी उनकी मजबूत पकड़ हो, वहाँ भी जीवन जीने की कल्पना का खाका तैयार किया जा सके। ऐसे में भारत ने इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए ये कदम अग्रसर किया है। मिशन की सफलता से भारत की प्रभावशीलता बढ़ी है। इस सफलता से भारत के नागरिक गौरवन्तीत महसूस कर रहे है और सबसे खास बात यह सबसे सस्ता अंतर-ग्रही मिशन है, समस्त 450 करोड़ रुपये या छह करोड़ 70 लाख अमेरिकी डॉलर रही है, जो एक रिकॉर्ड है, इसरो ने 15 महीने के (रिकॉर्ड) समय में इसको तैयार किया है।
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