Thursday 3 October 2013

अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस

इस बार अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 1 अक्टूबर 2013 को मनाया गया। इस वर्ष 2013 के वृद्धजन दिवस का विषय है – ‘हम जो भविष्य चाहते हैं: वृद्धजन क्या कहते हैं’। यह दिवस वृद्धजन के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता का प्रतीक है।


हम जो भविष्य चाहते हैं और वृद्धजन क्या कहते है? ये सवाल अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है आज हम अपनी बातों को, हम क्या चाहते है ? सिर्फ और सिर्फ हमारे स्वार्थ से ही जुड़ के रह गयी है। परिवार से प्रारम्भ होता जीवन का अर्थ कहाँ किसी और मूड गया अब उसका पता ही नहीं चलता हैं वृद्धों की बातों और उनकी सलाह को तो दूर रखिए अब तो लोग घर में मौजूद अपने बुजुर्गों का तो हाल-चाल तक नहीं लेते उनकी सलाह मशौरा क्या खाक लेंगे ? जीवन के मूल्यों को समझने के लिए उन सभी रिश्तों की पहचान होनी बहुत जरूर है जिनसे "हम" की श्रंखला शुरू होती है। अपने बुजुर्गों के अनुपम प्रेम को मत ठुकराइए। बच्चों में नैतिक मूल्यों को सींचने में कहीं न कहीं दादा दादी की कहानियाँ होती है। अब वो बात कहाँ बच्चे दादा दादी का न प्यार पा रहे है न ही प्यार दे पा रहे है जैसे जैसे एकल परिवार बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे नैतिक मूल्य का हास होता जा रहा हैं।




आखिर कब आया अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस?

संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने वर्ष 1990 में 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस घोषित किया था। अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक महत्व्पूर्ण सदस्य होने के नाते भारत वर्ष 2005 से प्रति वर्ष इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाता है। भारत का केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण का दायित्व निभाता है। इस मंत्रालय ने 1 से 7 अक्टूबर 2013 तक इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया है।
विदित हो कि वर्ष 2013 से वयोश्रेष्ठ‍ सम्मान को राष्ट्रीय पुरस्कार का दर्जा दिया गया. इस तरह के पहले राष्ट्रीय पुरस्कार महामहिम राष्ट्रपति 1 अक्टूबर, 2013 को विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में 8 व्यक्तियों/संस्थानों/राज्यों को विभिन्न वर्गों के लिए प्रदान किया।


ऋतु राय


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