Tuesday 24 September 2013

Tips of the Day


संसार में प्रत्येक वस्तु या चीज़ों की सीमायें निर्धारित है। प्रकृति का उदाहरण ले लीजिये एक पेड़ भी समय पे अपने पत्ते को अपने शरीर से त्याग देता है परन्तु एक सीमा में रहकर फिर से नवीन वरक धारण करता है वो पूर्ण रूप से अपने आपको फिर से अभिनव में परिवर्तित कर लेता है। इससे  मनुष्य को आशय लगाना चाहिए की सीमा का होना मनुष्य के जीवन में आकार की रूप रेखा तय करना है अगर सीमा नही है तो रूप रेखा खींचना मुश्किल होगा।


ऋतु राय 


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