None of the Above (NOTA)
अभी तक भारत में हम सब सवालों को हल करते समय ऐसे सवालों से रूबरू होते थे जिसमें उपरोक्त में से कोई नहीं का (Option) विकल्प भी मौजूद होता था। जब हमें वैकल्पिक सवालों का उत्तर सही नहीं लगता था तो हम उस विकल्प का चुनाव करते थे जिसमे लिखा होता था उपरोक्त में से कोई नहीं (None of the Above) लेकिन अब सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने यह निर्णय लिया है की मतों का प्रयोग करने वाले अब किसी भी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार को सिरे से खारिज कर सकते है। यह निर्णय 27 सितम्बर 2013 को लिया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि वह इलेक्ट्रोनिक
वोटिंग मशीनों और मत-पत्रों में उम्मीदवारों की सूची के अंत में उपरोक्त
में से कोई नहीं का विकल्प भी दें ताकि मतदाता अगर किसी भी उम्मीदवार को
वोट नहीं देना चाहता तो वह ऐसा कर सके। इस तरह लोकतन्त्र में लोगों के पास एक नया अधिकार हाथ में आ गया है। अब स्वतंत्र रूप से उम्मीदवारों का चयन करना न करना आप पर निर्भर है । इस प्रकार वोटिंग प्रणाली में NOTA की व्यवस्था यूरोपियन देशो से शुरू होता है। आगे विस्तार से इसकी चर्चा करेंगे।
ऋतु राय
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