Thursday 26 September 2013

Thoughts of the Day




सूर्य की स्वर्ण किरण सम्पूर्ण जगत को सराबोर करती है मानों जैसे ईश्वर इन्द्र द्वारा मेघ को पृथ्वी पर भेजने से जो राहत और शांति मृदा को मिलती है। वैसे ही सूर्य की दीप्तिमान किरणें अंधेरे को अवशोषित कर मनुष्य को प्रकाश में परिवर्तित कर देती है। फिर से नई नवीन शुरुवात करने को, प्रगति के पथ पर फिर से अग्रसर होने को, नयें विचारों से ओत-प्रोत करने को, अदित्य की आभा से प्रकृति की प्रभा तक भास्कर हमें चेतना से अभिभूत कर देता है । प्रकृति की इस अद्भुत काला को प्रणाम ।

ऋतु राय
 




प्रतिबिंब स्वरूप को आईना दिखाता है जिसे दशकों से ज्यादा बीत गए है, दिखाता है उनकी चमक, उनका हेम उनका मनोरथ शब्द कम पड़तें है वर्णन की दिशा और दशाओं को सम्पूर्ण शब्दों में समाहित करने के लिए।
ऋतु राय

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